KORBA : 2 जगहों का मिला प्रभार, हॉस्टल अधीक्षक नदारत, व्यवस्था में लाखों खर्च, लेकिन बच्चों पर ध्यान नहीं !

कोरबा/करतला (समाचार मित्र) आदिवासी विभाग अंतर्गत संचालित जिले के अधिकांश हॉस्टलों पर शासन ने करोड़ों रुपए DMF सहित अन्य मदों की राशि फूंक दी पर छात्रों एवं अधिक्षकों में हॉस्टल के प्रति रूचि अब दिन-ब-दिन कम होते जा रहा है। जिले में संचालित हॉस्टलों में अब छात्रों को लाने की रुचि न हॉस्टल अधीक्षक दिखा रहे और न ही इस ओर प्रशासन अपनी कोई पहल कर रहे है। हॉस्टल अधीक्षक अपने वेतन से खुश है न उन्हें छात्रों की पढ़ाई की चिंता है और न ही व्यवस्था आदि की। ताज़ा मामला ग्राम पंचायत फरसवानी स्थित प्री मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास फरसवानी में देखने को मिल रहा है जहां 50 छात्रों की क्षमता वाले छात्रावास में महज 16 छात्र ही रहते है उसमें से भी रोजाना केवल 7 से 9 ही छात्र उपस्थित रहते है।
हॉस्टल में नहीं रुक रहे अधीक्षक, घर से करते है आना जाना !
ज्यादातर हॉस्टल अधीक्षक मनमर्जी अनुसार अपने अपने घरों से आना जाना कर रहे है जबकि हॉस्टल में रहकर उनको व्यवस्था संभालने के आदेश दिए गए है। फरसवानी अधीक्षक भी हॉस्टल में रुकने के बजाए आना जाना करते है जिससे छात्रों को रसोइयों के भरोसे छोड़कर स्वयं घरों में निवास करते है। हॉस्टल अधीक्षकों को छात्रावास में क्षमता अनुसार छात्रों को रखने के निर्देश दिए गए है पर करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी छात्रों में छात्रावास में रहकर पढ़ने की रुचि दिखाई नहीं दे रही है जिसका कारण हॉस्टल में मिलने वाली असुविधाएं भी हो सकता है। हॉस्टल अधीक्षकों का ध्यान छात्रावास के सीटों को भरने में नहीं रहता बल्कि जितना कम से कम छात्र हो वहीं अच्छा समझते है। छात्रों जागरूक करने के बजाए शासन के लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी हॉस्टल में अव्यवस्थाओं का आलम है।
हॉस्टल अधीक्षक फरसवानी दुष्यन्त ठाकुर ने फोन पर बताया कि उनको सोहागपुर और फरसवानी दोनों का चार्ज मिला है, अभी बरपाली हॉस्टल में निवास करते है क्योंकि बच्चे बरपाली में पढ़ते है। उनका कहना है कि फरसवानी और सोहागपुर में अधीक्षक निवास नहीं है इसलिए वो आना जाना करते है रुकते नहीं है।
50 सीटर छात्रावास भरने में सक्षम नहीं शासन, बना दिया 100 सीटर नया छात्रावास !

हैरानी की बात है कि पहले से मौजूद 50 सीटर छात्रावास में जहां केवल 16 बच्चे रहते है वहां करोड़ों रुपए की लागत से 100 सीटर अन्य छात्रावास की क्या आवश्यकता थी? शासन जनता से मिले टैक्स की राशि को ऐसे कार्यों में दुरुपयोग कर रही है जिसकी आवश्यकता शायद नहीं थी। फिर भी बिना जनप्रतिनिधियों के सलाह के नया छात्रावास बना दिया।





