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महिला समिति चलाते रहे अवैध शराब के ख़िलाफ़ अभियान, उधर आबकारी विभाग मोटे पैसे लेकर कराते रहे शराब बिक्री का काम, कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति, ज्यादातर मामलों में लीपापोती !

कोरबा (समाचार मित्र) जिले में अवैध शराब बिक्री की कार्यवाही को लेकर आबकारी विभाग के कर्मचारियों के द्वारा अवैध वसूली का आरोप कोई नया बात नहीं रह गई है। इसका ताजा उदाहरण कोरबा जिले के ग्राम पंचायत तिलकेजा के खैरभाटा बस्ती में सामने आया है । यहां महिलाओं ने आबकारी उप निरीक्षक मुकेश पाण्डेय एवं उनके टीम के ऊपर कार्यवाही के आड़ में मारपीट गाली गलौज के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए 60 बाज़ार वसूली का आरोप लगाया है।

आपको बता दें अवैध शराब की बिक्री को लेकर ग्राम पंचायत तिलकेजा की महिला समितियों के द्वारा कार्यवाही का आग्रह किया गया था। इसके बाद अवैध शराब के खिलाफ कार्यवाही करने को लेकर आबकारी विभाग के उप निरीक्षक मुकेश पांडे सहित पूरा टीम तिलकेजा गांव के खैरभाटा बस्ती में पहुंच गए जहाँ जगरमति उरांव के घर अवैध शराब की खोज बिन चालू की गई। पीड़ित महिला ने बताया शराब खोजने के बाद उनके घर से महज तीन लीटर महुवा शराब आबकारी विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के समक्ष पाया गया। इसके बाद आबकारी विभाग के उप निरीक्षक मुकेश पाण्डेय ड्राइवर के माध्यम से पैसा मांगने की बात कही और राशि 60 हज़ार मांगी गई जिसके बाद पीड़ित महिला ने अपने घर में धान विक्रय कर रखे हुए राशि को उनको सोंप दिए।

वसूली को लेकर महिला ने कहा कि साहब हम लोग आदिवासी परिवार के लोग हैं और हमारे घर में वैवाहिक कार्यक्रम के लिए इस शराब को बनाया गया था क्योंकि अंग्रेजी शराब से हमारे घर में पूजा को संपन्न नहीं माना जाता । ऐसे में हमारी मजबूरी थी । कि हमें महुआ शराब बनाना पड़ा। आबकारी दल का कार्य संदेहास्पद तब और हो जाता है जब कोरे कागज में हस्ताक्षर करवाते हुए रख लिया जाता है। आपको बता दें कोरे कागज पर हस्ताक्षर करने का कोई प्रणाली ही नहीं है। आबकारी दल को चाहिए सर्वप्रथम कार्यवाही से संबंधित लिखा पढ़ी को पूरा करें उसके बाद जो आरोपी है उससे हस्ताक्षर लिया जाए । बताते चलें कोरे कागज में हस्ताक्षर करने के बाद आरोपियों को ब्लैकमेलिंग किया जाता है। यदि पैसा नहीं दोगे तो 3 लीटर को 30 लीटर बना कर बनाकर आपको जेल भेज देंगे । इस तरह की शिकायत भी सामने आ रही है आपको बता दें महिला ने यह भी कहा कि हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं आदिवासी हैं। आप उनसे पूछ सकते हैं। कि आदिवासी परिवार के लोगों को वैवाहिक कार्यक्रमों के साथ-साथ कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान में महुआ शराब की आवश्यकता पड़ती है। अब सवाल सबसे बड़ा यह है। एक तरफ गांव की महिला समिति अवैध शराब बिक्री को लेकर लामबंद होते हुए कार्यवाही के आस में बैठे हुए हैं। दूसरी तरफ आबकारी विभाग के अधिकारी महिलाओं की शिकायत पर कार्यवाही करने के बजाय उसे अवैध वसूली का एक जरिया बना रखे हैं।

महिला समिति के महिलाओं ने भी इस बात की पुष्टि की की आबकारी विभाग के लोगों के द्वारा पीड़ित परिवार से राशि ली गई है । सवाल यहां सबसे बड़ा यह है कि, आखिर कार्यवाही के आड़ में गरीब आदिवासी लोगों के साथ यह अन्याय है। कोरबा जिले में आबकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के द्वारा कार्यवाही के दौरान अनाधिकृत व्यक्तियों को अपने साथ ले जाने की खबर कोई नहीं बात नहीं है। इसी तरह के मामले पूर्व में भी सामने आए हैं। जिसमें आबकारी विभाग के यहां प्राइवेट वाहन को चलाने वाले लोगों या यूं कहें प्राइवेट लोगों के फौज को ले जाकर कार्यवाही के आड़ में लोगों के घरों में गुंडागर्दी कराया जा रहा है इस तरह के मामले कई बार प्रकाश में आ गए हैं। बावजूद इस मामले को लेकर संबंधित जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं । यही कारण है आबकारी विभाग अपने नैतिक कर्तव्यों से भटक कर महज वसूली तक उनका कार्य केंद्रित हो गया है।

कोरबा आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां आदिवासी समुदाय के लोग शराब बनाना पीना सहित अपने पूजन कार्य में भी शामिल करते हैं वही जानकारी के अनुसार आदिवासी समाज के लोगों को 5 लीटर तक महुआ शराब उनके उपयोग के लिए बनाने में कोई पाबंदी नहीं है ऐसे में महत तीन लीटर शराब बरामदगी पर कारवाई कब है दिखा कर परिवार के सदस्य इस तरह का व्यवहार शर्मनाक है। वही गांव में महिलाओं के द्वारा समिति बनाकर अवैध शराब विक्रेताओं के खिलाफ मुहिम चढ़ने वाली महिलाओं ने भी पैसा लेने वाली बात पर नाराजगी जाहिर करते हुए आबकारी विभाग के अधिकारी पर कार्रवाई की बात कही है।

Nimesh Kumar Rathore

Chief Editor, Mob. 7587031310
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