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सावन के महीने में नॉनवेज न खाना क्या है सिर्फ़ धार्मिक मान्यता, या विज्ञान भी करता है इसका समर्थन ! जानें क्या है इसका रहस्य?

इन दिनों देशभर में लोग सावन के पावन महीने में भगवान शिव की आराधना में डूबे हुए हैं। यह पूरा महीना खासतौर पर भगवान शिव को ही समर्पित है। इस दौरान लोग भोलेबाबा की पूजा-पाठ करते हुए अपना समय बिताते हैं। ज्यादातर लोग इस दौरान नॉन वेज आदि से भी परहेज करते हैं। इसके पीछे धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक वजह भी है। आइए जानते हैं.

जब भीषण गर्मी, चिलचिलाती धूप और उमस के बाद बारिश की बूंदें धरती पर गिरती हैं, तो ये हर किसी को सुकून का अहसास दिलाती है, लेकिन बरसात के आते ही कई बीमारियों और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में बचाव बेहद जरूरी है, इसके लिए एक तरीका ये भी है कि आप अपनी डेली डाइट में बदलाव करते हुए कुछ चीजों से परहेज करें.

मानसून के सीजन के साथ ही सावन के पावन महीने की भी शुरुआत हो चुकी है। भगवान शिव को समर्पित यह महीना हिंदू धर्म में बेहद अहम और पावन माना जाता है। सावन के पूरे महीने लोग भगवान शिव की आराधना कर उनका आशीर्वाद पाने की कोशिश करते हैं। साथ इस दौरान लोग कई तरह के नियमों आदि का भी पालन करते हैं। इस दौरान जहां कुछ लोग प्याज-लहसुन से दूरी बना लेते हैं, तो वहीं कुछ लोग दूध-दही आदि खाना छोड़ देते हैं।

कमजोर पाचन शक्ति !

सावन का महीना मानसून में आता है। ऐसे में इस दौरान लगातार बारिश की वजह से कई दिनों तक सूरज नहीं निकल पाता। इसकी वजह से हमें सूरज की पर्याप्त रोशनी नहीं मिल पाती। इससे हमारा मेटाबॉलिज यानी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। ऐसे में नॉनवेज ऐसा भारी खाना पचाना हमारे लिए काफी मुश्किल हो जाता है और यह आंत में सड़ने लगता है, जिससे कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

बढ़ जाता है इंफेक्शन का खतरा!

सावन के महीने में लगातार बारिश होने की वजह से वातावरण में कई तरह के संक्रमण फैलने लगते हैं। ऐसे में जीव-जंतु, मुर्गियां जो दाने, घास और पत्ते आदि खाते हैं, इन संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। जब हम इन संक्रमित जानवरों का मांस खाते हैं, तो हमारे भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि इस मौसम में नॉनवेज छोड़ने की सलाह दी जाती है।

आयुर्वेद ने भी बताई वजह !

आयुर्वेद की मानें तो सावन यानी मानसून में हमारी इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। ऐसे में ऑयली, नॉनवेज या मसालेदार खाना न सिर्फ हमारी इम्यूनिटी, बल्कि पाचन क्रिया पर भी असर डालता है। इस तरह के भोजन को पचाना आसान नहीं होता। यही वजह है कि आयुर्वेद भी सावन के महीने में आसानी से पचने वाला हल्का भोजन खाने की सलाह देता है।

Nimesh Kumar Rathore

Chief Editor, Mob. 7587031310
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