JudiciaryNational

SG ने SC को बताया-सरकार को क्यों लेना पड़ा अनुच्छेद 370 खत्म करने का फैसला, जानें क्या कहा केन्द्र सरकार ने ?

नई दिल्ली (समाचार मित्र) सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह फरवरी 2019 में सीआरपीएफ के काफिले पर हुआ आत्मघाती हमला था, जिसके बाद जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने के बारे में बारे में फैसला करना पड़ा।

इस आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान बलिदान हुए। साथ ही उसने पांच अगस्त 2019 के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं के ‘संविधान का उल्लंघन’ के आरोप को गलत बताया।

तुषार मेहता ने रखा सरकार का पक्ष

बता दें कि अनुच्छेद 370 के खात्मे वाले सरकार के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है और याचिकाकर्ताओं की अर्जी पर कोर्ट में नियमित रूप से सुनवाई हो रही है। अदालत में सरकार की दलीलें रखते हुए महाधिवक्ता तुषार मेहता ने नेशनल कॉन्फ्रेंस एवं पीपुल डेमोक्रेटिक पार्टी को आड़े हाथों लिया। इन दोनों पार्टियों का कहना है कि केंद्र सरकार के इस प्रत्याशित कदम से कश्मीरियों को अपनी स्वायत्तता एवं ‘आंतरिक संप्रभुता’ गंवानी पड़ी।

अन्य मौलिक अधिकार वस्तुतः छिन गए थे’

वहीं, प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 35ए को लागू करने से समानता, देश के किसी भी हिस्से में नौकरी करने की स्वतंत्रता और अन्य मौलिक अधिकार वस्तुतः छिन गए थे। सीजेआई ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारतीय संविधान के विवादास्पद प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केवल पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार देता है और यह भेदभावपूर्ण है।

एसजी ने दो दलों पर निशाना साधा

तत्कालीन राज्य के मुख्यधारा के दो राजनीतिक दलों का नाम लिये बिना, केंद्र ने सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ को बताया कि नागरिकों को गुमराह किया गया है कि जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष प्रावधान “भेदभाव नहीं बल्कि विशेषाधिकार” थे। तत्कालीन राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संवैधानिक प्रावधान को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के 11वें दिन सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत को बताया, “आज भी दो राजनीतिक दल इस अदालत के समक्ष अनुच्छेद 370 और 35ए का बचाव कर रहे हैं।”

सीजेआई ने की अहम टिप्पणी

सीजेआई चंद्रचूड़ ने मेहता की दलीलों को स्पष्ट करते हुए कहा कि अनुच्छेद 35ए को लागू करके आपने वस्तुतः समानता, देश के किसी भी हिस्से में पेशा करने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीन लिया और यहां तक कि कानूनी चुनौतियों से छूट एवं न्यायिक समीक्षा की शक्ति भी प्रदान की।

Nimesh Kumar Rathore

Chief Editor, Mob. 7587031310
Back to top button