ब्रेकिंग न्यूज़ : छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने स्थगित की हड़ताल, कल से केंद्रों में वापसी !

कोरबा (समाचार मित्र) सरकार के सख्त तेवर ,ताबड़तोड़ कार्रवाई के आगे आखिरकार 4 सूत्रीय मांगों को लेकर 3 नवंबर से बेमियादी हड़ताल में शामिल सहकारी कर्मचारियों के तेवर ठंडे पड़ गए। किसान हितों का हवाला देकर छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ रायपुर( छ.ग) की जिला इकाई कोरबा के अध्यक्ष विनोद भट्ट के साथ पदाधिकारियों ने कलेक्टर को हड़ताल स्थगित करने का ज्ञापन सौंप गुरुवार से समस्त समिति कर्मचारी एवं डाटा एंट्री ऑपरेटरों द्वारा धान खरीदी के कार्य दायित्व का निर्वहन सुचारू रूप से करने का आश्वासन दिया है ।

कलेक्टर को सौंपे हड़ताल स्थगन सूचना में संघ ने उल्लेख किया है कि शासन की महत्वपूर्ण योजना धान खरीदी विपणन वर्ष 2025 -26 में समस्त जिलों के किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए 3 नवंबर से चली आ रही संभाग स्तरीय अनिश्चितकालीन आंदोलन आज 19 नवंबर से स्थगित करने का निर्णय लिया है। जिसमें समिति कर्मचारी एवं डाटा एंट्री ऑपरेटरों द्वारा धान खरीदी के कार्य दायित्व का निर्वहन सुचारू रूप से करने का आश्वासन दिया । जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर श्री अजीत वसंत ने किसान हित में संघ के इस निर्णय की सराहना करते हुए शासन की महती योजना धान खरीदी का कार्य सुचारू रूप से पूरी पारदर्शिता के साथ करने की बात कही है। संघ के हड़ताल स्थगन के बाद गुरुवार से जिले के 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से धान खरीदी का कार्य सुचारू रूप से संपन्न होगा। इस अवसर पर उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं एम आर ध्रुव ,जिला खाद्य अधिकारी जी .एस. कंवर ,डीएमओ रितुराज देवांगन ,जिला सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी एस .के.जोशी उपस्थित थे।
किसान हित या एस्मा के उल्लंघन पर हो रही कार्रवाई का डर,उठे सवाल ?
जिस तरह धान खरीदी अभियान शुरू होने के चौथे दिन छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ रायपुर( छ.ग) की जिला इकाई कोरबा को किसान हितों की चिंता हुई और वे निशर्त हड़ताल स्थगित कर कार्य पर लौट आए उसने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। संघ के हड़ताली सहकारी कर्मचारियों को धान खरीदी शुरू होने के बाद किसान के हितों की चिंता कैसे आई? क्या यह वाकई किसानों के हितों में उठाया गया कदम है या एस्मा के उल्लंघन पर शासन -प्रशासन द्वारा की जा रही कार्रवाई का डर । बहरहाल जो भी हो हर साल हड़ताल की यह तस्वीर शासन और सहकारी कर्मचारियों के बीच समन्वय संवाद में कमी को दर्शाता है ,जिसका असर शुरुआती दिनों में धान खरीदी अभियान की व्यवस्थाओं पर पड़ता है। कोरबा में भी जिला प्रशासन ने सभी 65 उपार्जन केंद्रों में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत कृषि,सहकारिता,खाद्य एवं जिला सहकारी बैंक के अधिकारियों को उपार्जन केंद्र प्रभारी बनाकर अभियान की शुरुआत कर दी थी। समिति स्तर के कर्मचारियों के हड़ताल से वापस लौटते ही वैकल्पिक व्यवस्था समाप्त हो जाएगी,सभी अधिकारी अपने मूल विभाग के कार्य दायित्व में लौट जाएँगे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि संघ ने अपने लेटर पैड के माध्यम से हड़ताल अवधि में एस्मा के उल्लंघन स्वरूप एफआईआर की कार्रवाई का सामना कर रहे छुरी ,एवं निरधी उपार्जन केंद्र प्रबंधक के संदर्भ में जिक्र तक करना मुनासिब नहीं समझा । जिससे संघ के भीतर ही सदस्यों के बीच एकजुटता को लेकर तरह तरह की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।





