बरपाली पत्रकार भवन के मुआवजे की फाइल 6 माह से अटकी, डेढ़ साल से जिला पंचायत में जमा है राशि, करतला जनपद के अधिकारियों की निष्क्रियता से मुआवजा अटका !
कोरबा (समाचार मित्र) चांपा-कटघोरा के मध्य निर्माणाधीन नेशनल हाईवे-149 बी मेें अधिग्रहित किए गए ग्राम बरपाली स्थित पत्रकार भवन को सोमवार को तहसीलदार की मौजूदगी में एनएच के ठेकेदार द्वारा एक झटके में ढहा दिया गया जबकि इसका मुआवजा आज पर्यंत तक दिया नहीं जा सका है। स्थानीय पत्रकारों की गैर मौजूदगी व सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचकर विरोध जताने के बावजूद की गई इस कार्रवाई से पत्रकारों में आक्रोश कायम है। इस बात पर भी नाराजगी है कि लगभग डेढ़ से दो साल का लंबा समय बीतने के बाद भी उक्त भवन का मुआवजा प्रदाय नहीं किया जा सका है। इस पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों और बाबुओं की लापरवाही और उदासीनता सामने आई है।बताया गया कि वर्ष-2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह से पत्रकारों के द्वारा मुलाकात के बाद पत्रकार भवन के निर्माण की स्वी$कृति मिली थी। ग्राम पंचायत द्वारा भवन का निर्माण कराया गया। कालांतर में जब नेशनल हाईवे का सर्वे हुआ तब उक्त भवन भी हाईवे में शामिल होने के कारण नाप-जोख कर मुआवजा का प्रकरण तैयार कराया गया। ग्राम बरपाली पटवारी हल्का नंबर 06, राजस्व निगम मंडल बरपाली स्थित खसरा नंबर-692/1 रकबा 0.624 पर निर्मित 40 गुणा 61 वर्गफीट के इस भवन के प्रथम तल पर भी 30 गुणा 27 वर्गफीट पर निर्माण कराया गया था। उक्त भवन का मुआवजा लगभग 17 लाख रुपए निर्धारित किया गया। बताया जा रहा है कि यह राशि लगभग डेढ़ साल से जिला पंचायत के खाता में आकर जमा है लेकिन जिला पंचायत से यह राशि आज तक जनपद पंचायत करतला नहीं पहुंच सकी है और इसके कारण जनपद से उक्त राशि ग्राम पंचायत बरपाली को अंतरित नहीं हुई है।सोमवार को जबरन तहसीलदार द्वारा पत्रकार भवन को तुड़वाये जाने के बाद आक्रोशित पत्रकारों ने जब मुआवजा की छानबीन की तो पता चला कि पिछले 6 महीने से यह फाइल जनपद में ही पड़ी है। फाइल एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी जबकि जिला मुख्यालय की दूरी बमुश्किल 20 से 25 किलोमीटर है। फाइल को जान बूझकर रोका गया या फिर संबंधित कर्मचारी/बाबू/अधिकारी के द्वारा इसे दबाकर रख दिया गया या फिर इस बात का इंतजार किया जाता रहा कि फाइल पर वजन कौन रखेगा? इस आशय का आरोप लगाते हुए स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही का आलम यह है कि वे पत्रकारों से जुड़ा मामला भी बड़ी धीमी गति से निपटा रहे हैं। जब इस बारे में छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन करतला इकाई के अध्यक्ष लखन गोस्वामी व अन्य पत्रकारों ने जनपद कार्यालय जाकर जानकारी लेना चाहा तो फाइल में इंजीनियर का हस्ताक्षर नहीं होने का हवाला दिया गया।अब सवाल यह है कि जब स्वयं कलेक्टर के द्वारा एनएच व अन्य सडक़ निर्माण में भूमि/भवन/परिसम्पत्तियों के अधिग्रहण का मुआवजा के प्रकरणों का शीघ्र निपटारा करने के निर्देश जारी किए जाते रहे, तब भी जनपद के जिम्मेदार लोगों ने इस फाइल को 6 महीने से बिना हस्ताक्षर कराये क्यों रखा? क्या संबंधित इंजीनियर नियमित रूप से दफ्तर नहीं पहुंचते हैं या फिर संबंधित बाबू फाइलों का निपटारा इसी प्रकार से करते हैं, जिसके कारण प्रकरणों की पेंडेंसी बढ़ती जाती है और आम लोग दफ्तर के चक्कर काटने के बाद थक-हारकर जन चौपाल में गुहार लगाने मुख्यालय पहुंचते हैं।