छत्तीसगढ़ के इतिहास में सबसे बड़ी कार्यवाही; स्वास्थ्य विभाग के 1500 से ज्यादा कर्मचारी एक साथ सस्पेंड ।
रायपुर: छत्तीसगढ़ में शनिवार को प्रदेश की सरकार ने एक साथ डेढ़ हजार से ज्यादा कर्मचारियों को घर भेज दिया। ये वो लोग हैं, जो पिछले 10 दिन से ज्यादा समय से काम नहीं कर रहे थे।
अब इन हड़तालियों को प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार ने सब सिखाने के लिए बड़ा ही सख्त कदम उठाया है। सरकार के आदेश पर राज्यभर के हड़ताली स्वास्थ्य कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। जानें किस जिले से कितने कर्मचारी बैठ जाएंगे घर…
- 10 संगठनों के नेतृत्व में राज्य के 40 हजार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी सेवाओं का बहिष्कार कर 21 अगस्त से थे अनिश्चित काल की हड़ताल पर, ESMA लगाने के बावजूद काम पर नहीं लौटे
- प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण योजना सर्वे सूची से बाहर के लोगों को लाभ देने के लिए 100 करोड़ के प्रावधान के अलावा भी कई अहम प्रस्तावों पर हुई चर्चा
यहां बता देना जरूरी है कि छत्तीसगढ़ में प्रदेश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा दस अलग-अलग संगठनों के नेतृत्व में राज्य के 40 हजार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी अस्पताल में सेवाओं का बहिष्कार किए हुए थे। ये लोग पिछले 13 दिन (21 अगस्त से) से अनिश्चितकालीन हड़ताल करके प्रदेश के विभिन्न जिलों में धरने पर बैठे थे। हालांकि प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार ने एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (ESMA) की भी घोषणा कर दी थी, लेकिन बावजूद इसके ये कर्मचारी काम पर नहीं लौट रहे थे और अस्पतालों में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
इसी कॉमन इश्यू का हल निकालने के लिए शनिवार को भूपेश बघेल कैबिनेट की बैठक में हड़ताली कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिए जाने का प्रस्ताव मंजूर किया गया। सरकार के एक आदेश पर प्रदेशभर के 1500 से ज्यादा हड़ताली स्वास्थ्यकर्मी सस्पेंड कर दिए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्तर बस्तर कांकेर जिले से 568 कर्मचारी शामिल हैं तो जगदलपुर से 296 और दुर्ग जिले से भी 205 कर्मचारियों को सस्पेंड करने का आदेश दिया गया है। बालौदा बाजार से भी स्वास्थ्य विभाग के 265 तृतीय श्रेणी कर्मचारी सस्पेंड किए गए हैं।सरकारी सूत्रों की मानें तो सरकार ने यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ सिविल सर्विस रेगुलेशन एक्ट 1965 के तहत की है। आदेश में साफ किया गया है कि स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी अनाधिकृत रूप से लगातार हड़ताल पर हैं और इसकी वजह से न सिर्फ नागरिक सेवाएं, बल्कि शासकीय कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए ऐसा कड़ा फैसला लेना बेहद जरूरी है।
कैबिनेट मीटिंग में हुए ये फैसले
उधर, भूपेश कैबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद इसमेंं लिए गए फैसलों के बारे में मीडिया के माध्यम से मंत्री मोहम्मद अकबर ने जानकारी सांझा की। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण योजना की वेटिंग लिस्ट को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए सर्वे सूची से बाहर के लोगों को लाभ देने के लिए 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है। स्टेपेंड की बाध्यता खत्म कर दी गई। सिविल सेवा परीक्षा में 2008 में संशोधन के अनुसार 100 का इंटरव्यू होगा। बाल सुरक्षा के लिए अधिकारी की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया गया है। इसके अलावा निर्माता कंपनी निर्धारित वाहन मूल्य और टैक्स ही मूल्य होगा। डीलर मान्य नहीं होगा।