कोरबा/करतला : जनपद पंचायत करतला अन्तर्गत महिला एकीकृत महिला एवं बाल विकास के परियोजना कार्यालय, करतला इन दिनों सुविधाओं के नाम पर उपेक्षित होते जा रहा है। परियोजना कार्यालय का वर्तमान भवन इतना जर्जर हो चुका है की उससे रिस रहे पानी को कर्मचारियों द्वारा प्लास्टिक की पन्नी छाकर रोकना पड़ रहा है। रिसते पानी के बीच परियोजना कार्यालय में कर्मचारियों को काम करना पड़ रहा है। वही भवन इतना जर्जर हो गया है की कभी भी प्लास्टर छत से गिर सकता है। यही हाल प्रत्येक कमरे का है जहां पानी का रिसाव हो रहा है जिससे जरूरी दस्तावेज़ भीगने का डर है। परियोजना अधिकारी श्रीमती रागिनी बैस ने जनपद सीईओ को इस सम्बंध में कई बार अवगत कराया परन्तु जनपद से मात्र पत्राचार करके कागज़ी कार्यवाही पूर्ण कर ली जाती है और नवीन भवन की प्रशासनिक स्वीकृति आज भी नही मिल पाया है। पूर्व के कई परियोजना जिसमें डॉ. बोरकर भी सामिल है द्वारा भी पत्र लिखकर नवीन भवन की मांग की गई थी। जिनपर आज पर्यन्त तक गंभीरतापूर्वक कोई संज्ञान नही लिया गया।
35 आंगनबाड़ी केन्द्र जर्जर, उधार के भवनों में आंगनबाड़ी संचालित !
परियोजना कार्यालय करतला अंतर्गत कुल 35 आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर अवस्था में है। इस केंद्रों में भवन सुविधा नही होने से 1 से 6 वर्ष तक के बच्चों को उधार के भवनों में रखकर बच्चों का पोषण आहार, गर्भवती माताओं के लिए पोषण आहार, किशोरी शक्ति आहार, कुपोषित बच्चों की देखभाल, वजन माप सहित शासन की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं का संचालन किया जाता है। कई भवनों के जर्जर होने की वजह से परिजन अपने बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र भेजने तक से डर रहे है। आंगनबाड़ी केंद्रों में लगातार बच्चों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है जिसका मुख्य कारण जर्जर भवन ही है।
प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिलने से आंगनबाड़ी केंद्रों के पास नही है खुद का भवन !
परियोजना कार्यालय, करतला से बार-बार जर्जर भवनों की सूची मांगी जाती है जिसे जनपद पंचायत भेजा जाता है। जनपद पंचायत से यह जानकारी जिला मुख्यालय तक सूची भेजी जाती है। केवल करतला परियोजना में ही 35 जर्जर भवनों के बाबजूद अधिकारियों ने नवीन भवनों की स्वीकृति पर गंभीरता पूर्वक जिला से लेकर जनपद कार्यालय तक किसी ने ध्यान नही दिया जिसकी वजह से आज आंगनबाड़ी के अच्छे से संचालन में जर्जर भवन ही रुकावट बन रहे है। खुद का भवन नही होने से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, साहिकाओं तथा रसोईयों को काफी परेशानी हो रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं साहिकाओं ने जल्द से जल्द नवीन भवनों की स्वीकृति हेतु प्रशासन से मांग की है।
परियोजना कार्यालय के अधीन संचालित 35 आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन भी पूर्ण रूप से जर्जर हो चुके हैं। इन केन्द्र भवनों का निर्माण वर्ष 1994-95 में कराया गया था। सुनिश्चित रोजगार योजना, विश्व बैंक एसआरवाय मद से इन आंगनबाड़ी केन्द्र भवनों का निर्माण कराया गया था। करतला परियोजना के अंतर्गत ग्राम करतला, चाम्पा, नवाडीह, टेम्पाभांठा-1, फत्तेगंज, नवापारा, बोतली, जूनापारा बोतली-1, घिनारा, बैगापारा घिनारा-1, बनियापारा, नोन., डोंगाआमा, श्रीमार-1, कोटमेर, बहेराभाठा जूनवानी, दैहानभाठा, खूंटाकुड़ा-1, रीवाबहार, भाठापारा तुमान, लबेद, सुपातराई, कंवरपारा रामपुर, बरकोन्हा, नोनदरहा, खाल्हेपारा नोनदरहा, पठियापाली, जामपानी, छातापाठ, जोबापारा, गिधौरी, धनवारपारा गिधौरी, जोगीनगर, दादरभाठा, औराई व गनियारी के केन्द्र पूर्ण जर्जर घोषित हो चुके हैं। किराए के मकानों में ये केन्द्र संचालित हो रहे हैं जिन्हें खुद के भवन की दरकार है।