आबकारी विभाग के कर्मचारियों पर हमला करने वाले 11 ग्रामीण गिरफ़्तार, लेकिन फर्जी कार्यवाही करने वाले आबकारी अधिकारियों को शासन का संरक्षण !

कोरबा (समाचार मित्र) आबकारी विभाग के कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार कर गाली-गलौज, मारपीट व वाहन में तोड़फोड़ करने वालों पर पुलिस ने कठोर कार्यवाही करते हुए 11 लोगो को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। कोरबा जिले के उरगा थाना क्षेत्र का मामला है।दिनांक 19/08/25 को थाना उरगा जिला कोरबा में प्रार्थी नारायण सिंह कंवर आबकारी कार्यालय कोरबा के द्वारा लिखित शिकायत दर्ज रिपोर्ट दर्ज कराया की 19/08/25 को प्रातः 09 बजे आबकारी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी ग्राम आमापाली में आरोपी शंकर खड़िया के यहां अवैध कच्ची महुआ शराब निर्माण की सूचना पर रेड कार्यवाही करने गए थे जिसका विरोध शंकर खड़िया व उसके आस पास रहने वाले रिश्तेदारों ने किया और शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाते हुए गाली-गलौज, वाहन में तोड़फोड़ एवं कर्मचारियों के साथ मारपीट किया जिससे कई आबकारी अधिकारियों को चोट पहुंचाने लगा। उक्त मामले की शिकायत आबकारी अधिकारियों ने थाना उरगा में किया जिसपर मारपीट, गाली गलौज शासकीय कार्य में बाधा एवं बलवा आदि की रिपोर्ट पर अपराध धारा 296, 221, 132, 121(1), 324(2), 3(5) बीएनएस के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया। मामले में उरगा पुलिस द्वारा 01 पुरुष व 11 महिलाओं को विधिवत गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर न्यायालय में पेश किया गया जहां से उन्हे जेल भेज दिया गया।
आबकारी अधिकारियों पर कार्यवाही के दौरान हमला गलत, पर क्या फर्जी किसी को फंसाना सही ?
जिले में कई बार आबकारी अधिकारियों एवं ग्रामीणों के बीच टकराव स्थिति निर्मित हो चुकी है शासन एवं स्थानीय प्रशासन ने कभी इसका जमीनी स्तर पर कारण समझने की कोशिश नहीं की। आबकारी अधिकारियों द्वारा किए जा रहे कार्यवाही से ग्रामीण इसलिए भगभीत है क्योंकि अधिकारी पड़कने के बाद हजारों लाखों रुपए की डिमांड करते है नहीं देने पर ही कोई करवाई करते है। एक पाव भी रखे हो तो उसे 50 क्या 200 लीटर तक बता देते है। गवाही नहीं मिलने पर अपने स्टॉफ या खुद शराब बिक्री करने वाले व्यक्ति को ड्राइवर बनाकर उसे गवाही बना देते है। ऐसे में गवाही भी आरोपी से न्यायालय में बयान पलटने के लिए बड़े बड़े राशि की मांग करते है यह खेल कई वर्षों से चलते आ रहा है। यही कारण है कि ज्यादातर आबकारी मामलों में आरोपी बाइज़्ज़त बरी हो जाता है या छोटे कार्यवाही के नाम पर आबकारी अधिनियम की धारा 36 (च) का दुरुपयोग किया जाता है। परंतु ये सब शासन प्रशासन को नहीं दिखता। शासन प्रशासन ने आबकारी अधिकारियों एवं पुलिस की फर्जी कार्यवाहियों पर आज तक सवाल नहीं उठाएं।
दिए तले अंधेरा, आबकारी अधिकारी अपने साथ रखते है विवादित आदमी ?
कोरबा के आबकारी अधिकारी अपने साथ कार्यवाही के दौरान कुछ विवादित लोगों को साथ रखकर चलते है जिससे खुद विवाद उत्पन्न होता है। जिसके ऊपर खुद ही आबकारी के कई मामले दर्ज हो अगर उसे लेकर कार्यवाही करने जाएंगे तो लोगों को आपत्ति तो होगी ही। ये तो वहीं बात हो गई कि दिया तले अंधेरा तो होगा ही।