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विश्व आदिवासी दिवस विशेष: एक आदिवासी समाज ये भी! जो शासन की योजनाओं से है दूर, आज भी सांप दिखाकर करते है जीवन यापन, न घर, न ज़मीन !

कोरबा (निमेश राठौर) : आज विश्व आदिवासी दिवस है जिसे कई लोग मूलनिवासी दिवस के रूप में भी मना रहे है। पूरे विश्व से लेकर गांव मोहल्ले तक आदिवासी दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। कोरवा जनजाति के संरक्षण और उत्थान के बाद अब कोरबा जिले में एक और आदिवासी समाज है जो अपने विकास की प्रतिक्षा कर रहा है। इस जनजाति का नाम सौरा जनजाति है जो लम्बे समय से शासन की कई योजनाओं से उपेक्षित है। सौरा जनजाति के लोग कोरबा जिले करतला विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत मुकुंदपुर के आश्रित ग्राम कुरुडीह के मैदान में निवासरत है। इनके पास न पक्के घर है और न ही ख़ुद की जमीन। ये टेंट छाकर अपने और अपने परिवार के साथ रहते है। सौरा जनजाति के लोग सामाजिक और आर्थिक उन्नती की राह तक रहे है। ये जनजाति के लोग आज भी शासन की कई योजनाओं से लाभ प्राप्त करने से वंचित है।

जीवन यापन के लिए करते सांप दिखाने का काम !

इस जनजाति के लोग अपना और अपने परिवार का पेट पालने लम्बे लंबे यात्रा पर चले जाते है। इनका मुख्य काम सर्प दिखाकर ही रोजी रोटी का काम करना है। घर के मुख्या गांव गांव जाकर सांप दिखाते है तब जाकर इनका पेट भरता है।

रहने तक के लिए नही स्थान !

बड़ी मुश्किल से सर्प दिखाकर दो वक्त की रोजी रोटी खाते है। इनके पास न जमीन है और न ही पक्का मकान। वर्तमान में ग्राम कुरूडीह के एक मैदान में टेंट लगाकर रहते है। इनके बच्चे तक सरकारी स्कूलों में एडमिशन नहीं करा पा रहे है। जमीनी हकीकत ये है कि शासन की विभिन्न योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास, रोज़गार गारंटी, पेंशन, शिक्षा के अधिकार, राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर, वन अधिकार पट्टा, राशन, बच्चों के लिए पोषण आहत सहित कई अन्य योजनाओं का लाभ ऐसे उपेक्षित जनजाति को मिलना चाहिए लेकिन ये सब अधिकारों से अभी ये जनजाति दूर है जिसपर जा प्रशासन सहित आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए कार्य करने वाले संगठनों को संज्ञान लेने की आवश्यकता है।

Nimesh Kumar Rathore

Chief Editor, Mob. 7587031310
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