Korba

जिल्गा (श्यांग) में मनाया गया “विश्व आदिवासी दिवस”, कर्मा नृत्य से गूंज उठा गांव।

जिल्गा (समाचार मित्र) आज दिनांक 19/08/2023 दिन शनिवार को श्यांग थाना क्षेत्रांतर्गत ग्राम जिल्गा (नवधा चौक) में अंतरराष्ट्रीय विश्व सर्व आदिवासी दिवस बड़े हर्षोउल्लास के साथ एक छोटी प्रार्थना गीत के द्वारा शुभारंभ हुआ। आज के मुख्य अतिथि सर्व आदिवासी समाज के प्रवीण पलिया आदिवासी शक्तिपीठ कोरबा से आकर अपना बहुमूल्य वचनों के द्वारा प्रोत्साहित किया। और जल जंगल जमीन हमारे क्षेत्र में हो रहे आदिवासियों के ऊपर अनाचार, अत्याचार एवं कोल ब्लॉक के संबंध में जानकारी दिए।

आदिवासी शक्तिपीठ कोरबा से संजय आनंद ,शुभम मंडावी, कपिल चौहान, रामसाय उरांव ग्राम नकटीखार पटवारी इत्यादि शामिल रहे।

इस कार्यक्रम में सभी अतिथि गणों को हल्दी चावल का तिलक लगाकर एवं को एल (बिल्ला,बैच) लगाकर स्वागत एवं सम्मान किया गया । इस विश्व आदिवासी दिवस के समारोह पर ग्राम जिल्गा पंचायत के सरपंच महाप्रसाद राठिया एवं भूतपूर्व सरपंच रामस्वरूप राठिया ,जनपद सदस्य रवि शंकर राठिया ,समाजसेवी कार्यकर्ता कन्हैयालाल चौहान, जिल्गा -कटकोना सचिव पवन कुमार राठिया, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के पैरा लीगल वालंटियर लालाराम राठिया , चंद्रभान सिंह, एवं गांव जिल्गा के बुजुर्ग शियान, माता बहनें, छोटे-छोटे बच्चे एवं बरपाली ,कलमीटिकरा ,राजाडाही, बासिन ,कोदवारी ,मदनपुर कोल्गा, कुदमुरा यह कार्यक्रम आईसीसी चेतना समिति मदनपुर एवं जिल्गा पंचायत के सभी आदिवासियों की मदद से किया गया आ सी सी चेतना समिति मदनपुर के मैडम आईलीज मींज, बसंती तिर्की,इतिजबेद कुजूर, दीप्ती कुजूर, सरोजनी एक्का, रोशन तिर्की, लक्ष्मी तिर्की, अनुरंजनबेक ,निरोज कुमार राठिया कार्यकर्ता उपस्थित रहे।यह बहुत ही सराहनीय कार्यक्रम रहा ।सभी खुशी व्यक्त किए और आदिवासी के बारे में समझे।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकर्ता लालाराम राठिया द्वारा टोनही प्रताड़ना अधिनियम 2005, घरेलू हिंसा, आदिवासियों के मूल अधिकार, वृद्धजनों के अधिकार, एवं 9 सितंबर को लगने वाली लोक अदालत के संदर्भ में, बाल अपराध अधिनियम ,चाइल्ड टोल फ्री नंबर 1098, नालसा टोल फ्री नंबर 15100 शिक्षा के महत्व की जानकारी दी गई।

साथ ही साथ बरपाली, दादरपारा के करमा नृत्य पार्टी, सुआ नृत्य पार्टी, के द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाया गया तथा सैकड़ों लोग इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी के लोकनायक थे जो ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में झारखंड में हुए एक धार्मिक सहस्बुध्दी आंदोलन का नेतृत्व किए जिससे वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए भारत के आदिवासी उन्हें भगवान मानते हैं धरती आवा के नाम से जानते हैं पहली बार आदिवासी या मूलनिवासी दिवस 9 अगस्त 1994 को जेनेवा में मनाया गया। आदिवासी शब्द 2 शब्दों से बना है आदि और वासी से मिलकर बना है जिसका अर्थ मूलनिवासी होता है भारत में लगभग 700 आदिवासी समूह व उप समूह है ।

Nimesh Kumar Rathore

Chief Editor, Mob. 7587031310
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